डॉ अंबेडकर की इच्छा के अनुसार १० वर्षों के बाद भी आरक्षण व्यवस्था को समाप्त क्यों नहीं किया गया है?
यह मात्र एक मिथ्य अवधारणा है कि आरक्षण केवल १० वर्षों के लिए ही बनाया गया था। आरक्षण के चार प्रकार हैं : अनुच्छेद 330 के अनुसार : अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति लोक सभा तथा विधानसभा में आरक्षण का आनंद लेते हैं; अनुच्छेद ३३२ और अनुच्छेद ३३४ के अनुसार प्रत्येक १० वर्ष में लोक […]
How can we abolish caste based reservation in India?
It is obvious that caste based reservation (and anything to do with caste) will automatically be abolished when the whole concept of belonging to a caste is abolished. The problem is most people are either vehemently opposing or protecting caste based reservation but hardly anyone is fighting for complete annihilation of the caste concept. ALL […]
Is the introduction of 10 reservation for generalcategory economically weak by Narendra Modi a masterstroke?
It’s a master stroke to deprive the already deprived by grossly violating the Indian constitution. The reservation system was designed to ensure that the historically deprived and underprivileged communities dont continue to be discriminated against. BUT the complete opposite is happening with the introduction of the 10% reservation for general category. For example: Read the […]
When will India become free of reservation and quota system?
I assume you mean caste based reservation and by caste you mean jati. India will definitely become free of any jati based reservation system as soon as the concept of belonging to a jati becomes a thing of the past. Until then, I’m sorry to say, it will remain unless a dictatorial government abolishes it. This will also […]
QUESTION: क्या भीमराव अम्बेडकर को भारत में आरक्षण के लिए दोषी ठहराया जा सकता है?
QUESTION: क्या भीमराव अम्बेडकर को भारत में आरक्षण के लिए दोषी ठहराया जा सकता है? Answered by Shekhar Bodhakar यह आपके लिए आश्चर्य की बात हो सकती है परन्तु डॉ आंबेडकर आरक्षण व्यवस्था चाहते ही नहीं थे बल्कि कस्तूरबा गांधी के निवेदन पर महात्मा गांधी की जान बचाने के लिए उन्हें यह निर्णय लेना पड़ा। डॉ आंबेडकर ने जाति आधारित आरक्षण व्यवस्था को नहीं बनाया जैसा कि आम तौर पर दिखाया जाता है। वे केवल उस समय की सरकार द्वारा ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्से मैकडॉनल्ड के द्वारा स्वीकृत कानूनी “कम्युनल अवॉर्ड” को लागू करवाना चाहते थे। इस समझौते ने आरक्षित जाति व जनजातियों को हिन्दू बहुसंख्यक सरकार से राजनीतिक सुरक्षा के रूप में एक अलग निर्वाचन क्षेत्र देने का अधिकार दिया जिसकी स्वतंत्रता पश्चात सत्ता में आने (लागू होने) की आशा थी। वे गांधीजी ही थे जिन्होंने इस अधि निर्णय का विरोध किया; इसके पश्चात वे आंबेडकर पर अलग निर्वाचन क्षेत्र के बदले में आरक्षण स्वीकार करने का दबाव (या यूं कहें कि एक प्रकार की भावनात्मक धमकी <इमोशनल ब्लैकमेल> ) डालने के लिए भूख हड़ताल पर चले गए। पर मजे की बात तो ये है कि इस गांधीजी ने सिखों, मुस्लिमों, आंग्ल- भारतीयों.… आदि के लिए स्वीकृत अलग निर्वाचन क्षेत्र का विरोध नहीं किया.. उन्होंने केवल अस्पृश्यों व जनजातियों को लेकर विरोध किया। यदि किसी ने आरक्षण व्यवस्था बनाकर देश का विनाश किया है तो ये वो लोग हैं जिन्होंने “जाति वा जातिवाद” को बनाया। इसने वर्णाश्रम व्यवस्था के नाम पर समाज के हाशिए पर रखे समुदायों के लिए अकल्पनीय कठिनाइयां और निर्दयता उत्पन्न कर दी। यदि यह इसके लिए नहीं होता तो अस्पृश्यों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र की आवश्यकता ही नहीं होती, ना गांधीजी का उपवास और ना ही जाति आधारित संवैधानिक आरक्षण व्यवस्था। आरक्षण हमारे संविधान में दिया गया है, केवल अम्बेडकर के द्वारा नहीं बल्कि उस समय के सभी भारतीय अधिनायकों के द्वारा जो कि संविधान सभा के सदस्य थे। योग्यता (मेरिट) आज भी इस देश में अनाथ है और इस पर किसी जाति विशेष का आधिपत्य नहीं है। केवल वही लोग जिनके निहित स्वार्थ हैं वे ही मेरिट के बारे में बात करते हैं। लोगों ने केवल एक जाति विशेष के लिए शिक्षा में जाति आधारित आरक्षण को असंख्य पीढ़ियों तक सहन किया और उस समय में किसी ने भी योग्यता के बारे में चिंता नहीं की। एक जाति विशेष के शत प्रतिशत लोग तो योग्य नहीं हो सकते और इसके बारे में उस समय तक किसी ने प्रश्न नहीं उठाया जब तक कि समानता, स्वतंत्रता, भाईचारे, सभी के लिए सामाजिक न्याय की भावना पर आधारित एक नए देश के निर्माण का समय नहीं आ गया जो की एक जाति आधारित समाज में कदापि संभव नहीं है। आरक्षण नीति पूना पैक्ट का परिणाम है! जो कि केवल गांधीजी के कम्युनल अवॉर्ड के विरोध में गैर कानूनी तौर पर भूख हड़ताल पर जाने के कारण हुआ जिसे आंबेडकर ने गोलमेज सम्मेलन में कानूनी रूप से जीता था। डॉ आंबेडकर ने ने उनके लिए कम्युनल अवॉर्ड की मांग की (और जीते भी) जो की शताब्दियों से यदि सदियों से नहीं, मानवाधिकारों से वंचित व दमन के शिकार हैं। और गांधीजी ने बदले में आरक्षण की मांग की इसलिए अम्बेडकर को आरक्षण हेतु दोषी ठहराना बंद करें जब तक कि आप पूना पेक्ट को नकारकर अलग निर्वाचन क्षेत्र के मूल समझौते को स्वीकार नहीं कर लेते। निष्कर्ष तो कौन है भारत में जाति आधारित आरक्षण व्यवस्था का जिम्मेदार? ~Shekhar Bodhakar
Can B. R. Ambedkar be blamed for the reservations in India?
This may come as a surprise to you but Dr. Ambedkar did not want the reservation system but had to settle for it to save Mr Gandhi’s life at the request of Mrs Kasturba Gandhi. Dr. Ambedkar did not create the caste based reservation as is commonly portrayed. He only wanted the then government to […]
Why is reservation system not abolished after 10 years as per the wish of Dr. Ambedkar?
This article is from a series of Questions asked on the internet and answered by Shekhar Bodhakar IT IS A MISCONCEPTION that the reservations was only meant for 10 years. There are 4 types of reservations: 1. Political Reservation 2. Reservation in Education 3. Reservation in Employment 4. Reservation in promotion According to Article 330: SC […]